उत्तराखंड के गांवों में बैलून के जरिए दिया जाएगा इंटरनेट, 5Mbps होगी डेटा स्पीड
उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवदेनशील राज्य है. किसी आकस्मिक आपदा की स्थिति में लोगों से सम्पर्क साधने में यह उपयोगी रहेगी.
नई दिल्ली: इंटरनेट की अगर बात होती है तो ज्यादातर समय लोगों को या तो टेलीकॉम कंपनियों के जरिए या फिर लोकल इंटरनेट प्रोवाइडर्स या ब्रॉडबेंड की तरफ से ही ये सुविधा मिलती है. लेकिन उत्तराखंड ने इंटरनेट तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी शुरूआत की है. आपको बता दें कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एरोस्टेट तकनीक बैलून को सफलतापूर्वक लांच किया. एरोस्टेट बैलून के प्रयोग से अब इंटरनेट को दूसरे क्षेत्रों में दिया जाएगा जहां लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं थी.
इस मौके पर सीएम ने कहा कि इस तकनीक के लिए उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जो वर्तमान में इंटरनेट से अछूते हैं. राज्य की भौगोलिक विषमताओं को देखते हुए यह टेक्नोलॉजी काफी मददगार होगी. उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवदेनशील राज्य है. किसी आकस्मिक आपदा की स्थिति में लोगों से सम्पर्क साधने में यह उपयोगी रहेगी.
देहरादून के IT पार्क में एरोस्टेट तकनीक (बैलून टेक्नोलॉजी) का शुभारंभ किया। @UttarakhandITDA और @iitbombay द्वारा संचालित तकनीक को संचार सेवाओं में प्रयोग किया जाएगा। जंगलों की आग व आपदा जैसे हालातों में यह तकनीक, संचार सुविधा प्रदान करने व आकाशीय निगरानी में सहायक साबित होगी pic.twitter.com/hAHtscEDi4
— Trivendra S Rawat (@tsrawatbjp) June 8, 2018
क्या है बैलून तकनीक?
हाइड्रोजन की मदद से एरोस्टेट को लिफ्ट किया जाएगा तो वहीं इसपर कैमरा भी लगा होगा जिसके साथ एक एंटीना और वाई फाई मॉडम जुड़ा होगा ताकि कॉल और नेट की सुविधा दी जा सके. 6 मीटर लंबे एरोस्टेट 14 दिनों तक हवा में रह सकता है. प्रोजेक्ट और आईटीडीए के डायरेक्टर अमित सिंहा ने कहा कि इस टेकनॉल्जी को आईआईटी मुंबई के जरिए बनाया गया है.
उन्होंने आगे बताया कि इस तकनीक को लगाने के लिए 50 लाख रूपये का खर्चा आया है जो तकरीबन 7.5 किलोमीटर के रेंज तक इंटरनेट की सेवा दे सकता है. वहीं ये 5Mbps की डाउनलोड स्पीड भी देगा. आपको बता दें कि इस सुविधा का फायदा कोई भी इस रेंज में उठा पाएगा और अपने फोन या दूसरे डिवाइस को वाईफाई से बिना किसी पासवर्ड के कनेक्ट कर पाएगा.
आंकड़ों के अनुसार कुल 16,870 गांव ऐसे है जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं है. सीएम ने आगे कहा कि इस टेकनॉल्जी का इस्तेमाल वहीं किया जाएगा जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं होगी.
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