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Saturday, May 26, 2018

नए विवाद में Facebook, कर रहा है यूजर्स की जासूसी, आपके मैसज और कॉल का डेटा हो रहा है इकट्ठा

नए विवाद में Facebook, कर रहा है यूजर्स की जासूसी, आपके मैसज और कॉल का डेटा हो रहा है इकट्ठा

Facebook has been collecting call history and SMS data from Android devices
नई दिल्लीः फेसबुक के लिए साल 2018 विवादों का साल बनता जा रहा है. कैम्ब्रिज एनालिटिका मामले में चारो ओर से घिरे फेसबुक से जुड़ा एक और विवाद सामने आ रहा है. फेसबुक एंड्रॉयड यूजर्स की जासूसी कर रहा है. फेसबुक अपने यूजर्स के फोन कॉल और मैसेज का डेटा जुटा रहा है और यूजर की फोन पर की जा रही गतिविधियों पर नजर रख रहा है.

कुछ यूजर्स ने जो डेटा फेसबुक कलेक्ट करता है उसकी जांच की तो हैरान रह गए. फेसबुक फोन में मौजूद कॉन्टेक्ट्स के नाम, नंबर , कॉल डिटेल , किस नंबर पर कितने देर बात की गई और मैसेज सभी डेटा को कलेक्ट कर रहा है. कई ऐसा डेटा भी पाए गए जो सालों पुराने थे. कैम्ब्रिज एनालिटिका विवाद में फंसने के बाद फेसबुक के सामने नया सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर यूजर के इन डेटा को इतनी डिटेल के साथ क्यों कलेक्ट कर रहा है.

Ars Technica reports की रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक एंड्रॉयड यूजर्स से उनके कॉल हिस्ट्री और मैसेज के एक्सेस के लिए परमिशन ले कर ये डेटा स्टोर करता है. फेसबुक का तर्क है कि यूजर के फोन डेटा को कलेक्ट करके यूजर के लिए फ्रेंड रिकमंडेशन एल्गोरिद्म को बेहतर बनाता है साथ ही बिजनेस कॉन्टेक्ट से पर्सनल कॉन्टेक्ट के अलग करने में मदद करता है.

फेसबुक ने क्या कहा वो जानिए?

इस डेटा एक्सेस को लेकर जब विवाद बढ़ा तो बचाव में फेसबुक ने अपना पक्ष रखा. फेसबुक ने कहा,' ये जानकारी सिक्योर सर्वर पर अपलोड की जाती है. ये जानकारी सिर्फ एंड्रॉयड यूजर्स की ही हैं, ये उन यूजर्स का डेटा है जो फेसबुक को इस डेटा के लिए सहमति देते हैं.'

फेसबुक ने आगे कहा कि ये डेटा ना तो बेचा जाता है और ना ही यूजर्स, फ्रेंड या दूसरी एप से शेयर किया जाता है. ये डेटा यूजर्स का एक्सपीरियंस फेसबुक पर बेहतर करने के लिए लिया जाता है. ताकि यूजर को  लोगों से जुड़ने में मदद की जा सके.

एपी से बात करते हुए फेसबुक के प्रवक्ता ने बताया कि फेसबुक टेक्स्ट मैसेजका कंटेंट या कॉल का डेटा नहीं जुटाती बल्कि कन्टेक्ट से जुड़ी जानकारी लेती है.

फेसबुक के बयान के मुताबिक यूजर्स के पास विकल्प होता है कि वो फोन डिटेल एक्सेस देना चाहते हैं या नहीं. जब भी कोई यूजर मैसेंजर या फेसबुक लाइट पर साइन इन करता है तो ये परमिशन फेसबुक की ओर से मांगी जाती है. डेटा कलेक्शन के विकल्प को यूजर अपनी सुविधा के मुताबिक टर्न ऑन या टर्न ऑफ कर सकता है. अगर यूजर सेटिंग्स में जाकर इसे ऑफ करता है तो पहले के कलेक्ट किए गए कॉल डेटा और टेक्स्ट हिस्ट्री जो एप से शेयर की गई है खुद डिलीट हो जाएगी.

इसके आगे फेसबुक ने बताया कि इस फीचर को सबसे पहले साल 2015 में फेसबुक मैसेंजर के जरिए उतारा गया था.

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